अवलोकन या निरीक्षण (Observation) मनोविज्ञान और समाजशास्त्र में अनुसंधान की एक महत्वपूर्ण और प्रमुख पद्धति है। इस पद्धति का उपयोग वैज्ञानिक अनुसंधान में भी व्यापक रूप से किया जाता है। अवलोकन के माध्यम से अनुसंधानकर्ता वास्तविक स्थिति और परिवेश में मौजूद रहकर अपने अध्ययन का संचालन करता है। पी. वी. यंग (P.V. Young) के अनुसार, "अवलोकन को आँखों द्वारा सामूहिक व्यवहार और जटिल सामाजिक संस्थाओं के साथ-साथ सम्पूर्ण रचना करने वाली पृथक इकाई के अध्ययन की विचारपूर्ण पद्धति के रूप में प्रयुक्त कर सकते हैं।" इसी प्रकार मोजर (Moser) ने कहा है, "अवलोकन को स्पष्ट रूप से वैज्ञानिक अन्वेषण की एक शास्त्रीय विधि कह सकते है।" कर्ट लेविन (Kurt Lewen) के अनुसार, "सभी प्रकार के प्रेक्षण अन्ततः विशेष घटनाओं का विशेष समूह में वर्गीकरण होते हैं। वैज्ञानिक विश्वसनीयता सही प्रत्यक्षीकरण और वर्गीकरण पर आधारित है।"
अवलोकन वैज्ञानिक अनुसंधान का एक मूल आधार है। यह पद्धति विज्ञानों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वैज्ञानिक अनुसंधान में, अवलोकन का उपयोग तथ्यों और सिद्धांतों की जांच और परीक्षण के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, चार्ल्स डार्विन ने अपनी प्रजातियों के सिद्धांत को विकसित करने के लिए व्यापक अवलोकन का उपयोग किया था। डार्विन ने विभिन्न जीवों और उनके व्यवहार का अवलोकन किया और उनके विकास के सिद्धांत को प्रस्तावित किया। इसी प्रकार, समाजशास्त्र में एमिल डुर्कहाइम ने सामाजिक तथ्यों का अध्ययन करने के लिए अवलोकन का उपयोग किया। उन्होंने आत्महत्या के विभिन्न प्रकारों का अवलोकन किया और उनके सामाजिक कारणों की व्याख्या की। अवलोकन पद्धति के माध्यम से वैज्ञानिक अनुसंधानकर्ता वास्तविक तथ्यों और घटनाओं को सीधे अध्ययन कर सकते हैं, जिससे उनकी अध्ययन की विश्वसनीयता और वैधता बढ़ती है।
अवलोकन एक शास्त्रीय विधि है जो वैज्ञानिक अनुसंधान में लंबे समय से उपयोग की जाती रही है। यह एक पारंपरिक और मान्य पद्धति है, जिसका उपयोग विभिन्न विज्ञानों में किया जाता है। इसका उपयोग समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, मानव विज्ञान, और अन्य सामाजिक विज्ञानों में व्यापक रूप से किया जाता है। उदाहरण के लिए, एंथ्रोपोलॉजी में ब्रॉन्सिलाव मलिनोवस्की ने ट्रोब्रिएंड द्वीपवासियों के जीवन और संस्कृति का अध्ययन करने के लिए अवलोकन का उपयोग किया। उन्होंने वहाँ के समाज का विस्तृत अध्ययन किया और उनकी सामाजिक संरचनाओं और सांस्कृतिक प्रथाओं का विश्लेषण किया। इसी प्रकार, मनोविज्ञान में जीन पियाजे ने बच्चों के संज्ञानात्मक विकास का अध्ययन करने के लिए अवलोकन का उपयोग किया। उन्होंने बच्चों के व्यवहार और सोच की प्रक्रियाओं का अवलोकन किया और उनके विकास के विभिन्न चरणों का प्रस्ताव किया।
अवलोकन पद्धति में आँकड़ों का संकलन सीधे अनुसंधानकर्ता के द्वारा किया जाता है, जिससे अधिक सटीक और विश्वसनीय जानकारी प्राप्त होती है। यह पद्धति अनुसंधानकर्ता को वास्तविक परिवेश में उपस्थित रहने और घटनाओं और व्यवहारों का प्रत्यक्ष अवलोकन करने की सुविधा प्रदान करती है। उदाहरण के लिए, समाजशास्त्र में एलिज़ाबेथ बोत ने अपने अध्ययन "फैमिली एंड सोशल नेटवर्क" में लंदन के मजदूर वर्ग परिवारों के बीच सामाजिक नेटवर्क और परिवार संरचना का अवलोकन किया। उन्होंने परिवार के सदस्यों के बीच संबंधों और उनकी सामाजिक गतिविधियों का अध्ययन किया और पाया कि परिवार के सामाजिक नेटवर्क का उनके जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
इस पद्धति में अनुसंधानकर्ता और विषय के बीच सीधा संपर्क स्थापित होता है, जो अध्ययन को अधिक प्रभावी बनाता है। उदाहरण के लिए, मनोविज्ञान में सिगमंड फ्रायड ने अपने रोगियों के साथ प्रत्यक्ष संपर्क स्थापित कर उनके मनोवैज्ञानिक समस्याओं का अध्ययन किया। उन्होंने अपने रोगियों के व्यवहार और विचार प्रक्रियाओं का विश्लेषण किया और उनके मनोवैज्ञानिक विकारों का उपचार किया। इसी प्रकार, समाजशास्त्र में एर्विंग गोफमैन ने अपने अध्ययन "द प्रेजेंटेशन ऑफ सेल्फ इन एवरीडे लाइफ" में सामाजिक सहभागिता का अध्ययन किया। उन्होंने विभिन्न सामाजिक सेटिंग्स में लोगों के व्यवहार का अवलोकन किया और पाया कि लोग अपने सामाजिक परिवेश में विभिन्न भूमिकाएँ निभाते हैं और अपनी छवि को प्रस्तुत करने के लिए विभिन्न रणनीतियों का उपयोग करते हैं।
अवलोकन से अनुसंधानकर्ता को विश्वसनीय और विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है, जो अन्य पद्धतियों में संभव नहीं होती। उदाहरण के लिए, मनोविज्ञान में एलेनोर मैककॉबी और कैरल जैकलिन ने अपने अध्ययन "द साइकोलॉजी ऑफ सेक्स डिफरेंसेज" में बच्चों के खेल और सामाजिक व्यवहार का अवलोकन किया। उन्होंने पाया कि लड़के और लड़कियाँ विभिन्न प्रकार के खेल खेलते हैं और उनके सामाजिक व्यवहार में महत्वपूर्ण अंतर होते हैं। इसी प्रकार, समाजशास्त्र में विलियम फूट व्हाइट ने अपने अध्ययन "स्ट्रीट कॉर्नर सोसाइटी" में बोस्टन के एक मजदूर वर्ग समुदाय का अवलोकन किया। उन्होंने समुदाय के सदस्यों के बीच सामाजिक संबंधों और उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन किया।
अवलोकन विधि का प्रमुख गुण यह है कि यह वास्तविक व्यवहार का अध्ययन करने की अनुमति देती है। अनुसंधानकर्ता सामान्य अवस्था और वास्तविक परिवेश में उपस्थित रहकर लोगों के व्यवहार और घटनाओं का अध्ययन कर सकता है। उदाहरण के लिए, एक समाजशास्त्री किसी समुदाय के दैनिक जीवन का अवलोकन कर सकता है और उनके सामाजिक इंटरैक्शन का अध्ययन कर सकता है। इस प्रकार, अनुसंधानकर्ता को वास्तविक और प्रामाणिक डेटा मिलता है जो किसी अन्य विधि से प्राप्त करना कठिन हो सकता है।
अन्य अनुसंधान विधियों की तुलना में अवलोकन विधि सरल होती है। उदाहरण के लिए, प्रयोगात्मक विधि में अनुसंधानकर्ता को परिस्थितियों को नियंत्रित करना पड़ता है, जो अक्सर कठिन और जटिल होता है। इसके विपरीत, अवलोकन विधि में अनुसंधानकर्ता को केवल घटनाओं और व्यवहारों का निरीक्षण करना होता है। इस सरलता के कारण यह विधि व्यापक रूप से उपयोग की जाती है।
अवलोकन विधि की एक और प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें ज्ञानेन्द्रियों, खासकर आँखों का प्रमुख उपयोग होता है। अनुसंधानकर्ता घटनाओं और व्यवहारों का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त करता है, जिससे उसे अधिक सटीक और विस्तृत जानकारी मिलती है। उदाहरण के लिए, एक मनोवैज्ञानिक बच्चों के खेल के दौरान उनके व्यवहार का अवलोकन कर सकता है और उनके संज्ञानात्मक और सामाजिक विकास का अध्ययन कर सकता है।
अवलोकन विधि से किसी भी घटना का व्यापक अध्ययन किया जा सकता है। अन्य विधियों से अध्ययन करने पर किसी खास अंग या पहलू का ही अध्ययन हो पाता है, लेकिन अवलोकन विधि में अनुसंधानकर्ता घटनाओं और व्यवहारों के विभिन्न पक्षों का विस्तृत अध्ययन कर सकता है। उदाहरण के लिए, एक एंथ्रोपोलॉजिस्ट किसी जनजाति का अवलोकन करते समय उनकी सांस्कृतिक प्रथाओं, धार्मिक मान्यताओं, और सामाजिक संरचनाओं का व्यापक अध्ययन कर सकता है।
अवलोकन विधि प्रारंभिक स्तर पर समस्या के गहन अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण होती है। यह अनुसंधानकर्ता को दिशा और मार्गदर्शन प्रदान करती है। उदाहरण के लिए, एक शोधकर्ता किसी सामाजिक समस्या का प्रारंभिक अध्ययन करने के लिए अवलोकन विधि का उपयोग कर सकता है और इसके आधार पर आगे के अध्ययन के लिए परिकल्पना और शोध प्रश्न विकसित कर सकता है।
अवलोकन विधि के माध्यम से दो या दो से अधिक परिवर्तकों के पारस्परिक अंतःसंबंधों का गहन अध्ययन किया जा सकता है। इस विधि से अनुसंधानकर्ता कार्य-कारण संबंधों का पता लगा सकता है। उदाहरण के लिए, एक मनोवैज्ञानिक किसी विशेष शिक्षा पद्धति और छात्रों के प्रदर्शन के बीच संबंध का अध्ययन कर सकता है और इसके प्रभाव का विश्लेषण कर सकता है।
अवलोकन विधि का उपयोग केवल पढ़े-लिखे लोगों का ही नहीं, बल्कि अनपढ़, बच्चों और पशु-पक्षियों का भी अध्ययन करने के लिए किया जा सकता है। अनुसंधानकर्ता बच्चों के खेल के दौरान उनके व्यवहार का अवलोकन कर सकता है या पशुओं के प्राकृतिक वातावरण में उनके व्यवहार का अध्ययन कर सकता है। इस प्रकार, अवलोकन विधि व्यापक और विविधता वाले विषयों का अध्ययन करने में सहायक होती है।
अनुसंधान की अन्य विधियों से सिर्फ परिचित भाषा जानने वालों का ही अध्ययन हो पाता है, लेकिन अवलोकन विधि से अपरिचित भाषा वाले व्यक्तियों का भी अध्ययन सुगमता पूर्वक किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, एक एंथ्रोपोलॉजिस्ट किसी विदेशी समुदाय का अवलोकन करते समय उनकी भाषा को समझने की आवश्यकता नहीं होती है, बल्कि वह उनके व्यवहार और सामाजिक इंटरैक्शन का अध्ययन कर सकता है।
अवलोकन विधि में घटनाओं, व्यवहारों आदि का प्रत्यक्ष अध्ययन होता है, जिससे वास्तविकता का पता चलता है। अनुसंधानकर्ता सीधे घटनाओं और व्यवहारों का निरीक्षण कर सकता है और उनके बारे में निष्कर्ष निकाल सकता है। उदाहरण के लिए, एक समाजशास्त्री किसी सार्वजनिक स्थान पर लोगों के व्यवहार का प्रत्यक्ष अध्ययन कर सकता है और उनके सामाजिक इंटरैक्शन का विश्लेषण कर सकता है।
अवलोकन विधि से अध्ययन करने के लिए अन्य विधियों, जैसे साक्षात्कार, अनुसूची आदि का सफलतापूर्वक समावेश किया जा सकता है। इससे अध्ययन की विश्वसनीयता बढ़ती है। उदाहरण के लिए, अनुसंधानकर्ता अवलोकन के दौरान साक्षात्कार का भी उपयोग कर सकता है और अधिक विस्तृत और सटीक जानकारी प्राप्त कर सकता है।
अवलोकन विधि के माध्यम से अनुसंधानकर्ता जो निष्कर्ष निकालता है, उसमें विश्वसनीयता और वैधता अधिक होती है। यह विधि अनुसंधानकर्ता को वास्तविक और प्रामाणिक डेटा प्रदान करती है, जिससे उसके निष्कर्ष अधिक विश्वसनीय होते हैं। उदाहरण के लिए, एक मनोवैज्ञानिक अवलोकन विधि का उपयोग कर बच्चों के संज्ञानात्मक विकास का अध्ययन कर सकता है और इसके आधार पर सटीक और विश्वसनीय निष्कर्ष निकाल सकता है।
प्रेक्षण विधि से अध्ययन करने के लिए पूर्ण प्रशिक्षित प्रेक्षक की आवश्यकता होती है। इसके अभाव में प्रेक्षण कार्य सफल नहीं होता है। प्रेक्षक के मनोवृत्ति, पूर्वाग्रह, मानसिक स्थिति आदि का प्रभाव पड़ता है, जिससे परिणाम दोषपूर्ण हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर एक अनुसंधानकर्ता किसी विशेष समूह के प्रति पूर्वाग्रह रखता है, तो उसका अवलोकन प्रभावित हो सकता है और उसके निष्कर्ष पूर्वाग्रहपूर्ण हो सकते हैं।
अनुसंधानों में कठोर नियंत्रण की आवश्यकता होती है, जबकि प्रेक्षण विधि में नियंत्रण का अभाव होता है। इस कारण किसी घटना के कारणों का स्पष्ट ज्ञान नहीं हो पाता है। उदाहरण के लिए, अगर एक अनुसंधानकर्ता किसी सामाजिक घटना का अवलोकन कर रहा है, तो वह घटना के सभी पहलुओं को नियंत्रित नहीं कर सकता है और उसकी व्याख्या में सीमाएँ हो सकती हैं।
इस विधि से व्यक्ति के केवल व्यवहारों का ही अध्ययन हो पाता है। अव्यक्त और आंतरिक व्यवहारों का अध्ययन संभव नहीं होता है। उदाहरण के लिए, अगर एक अनुसंधानकर्ता किसी व्यक्ति के बाहरी व्यवहार का अवलोकन कर रहा है, तो वह व्यक्ति के आंतरिक विचारों और भावनाओं का अध्ययन नहीं कर सकता है।
प्रेक्षण विधि से सभी प्रकार के व्यवहारों का अध्ययन संभव नहीं है। जैसे अपराधी के व्यवहार का अध्ययन या दाम्पत्य जीवन का अध्ययन इस विधि से नहीं किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, अगर एक अनुसंधानकर्ता अपराधियों के व्यवहार का अध्ययन करना चाहता है, तो उसे इस विधि में कठिनाई हो सकती है क्योंकि अपराधियों का व्यवहार सामान्य सामाजिक व्यवहार से भिन्न हो सकता है।
इस विधि से अनियंत्रित अवस्था में अध्ययन किया जाता है, जिससे अनावश्यक तत्त्वों का निरीक्षण हो सकता है, जो उपयोगी नहीं होते। उदाहरण के लिए, अगर एक अनुसंधानकर्ता किसी सामाजिक घटना का अवलोकन कर रहा है, तो उसे ऐसी सूचनाएँ प्राप्त हो सकती हैं जो उसके अध्ययन के लिए अप्रासंगिक हो सकती हैं।
इस विधि में कोई निश्चित स्थान और समय निर्धारित नहीं होता है। इसलिए, कोई घटना कब घटेगी, इसका पूर्वानुमान लगाना कठिन होता है, जिससे अध्ययनकर्ता उसका अध्ययन नहीं कर पाता है। उदाहरण के लिए, अगर एक अनुसंधानकर्ता किसी विशेष घटना का अवलोकन करना चाहता है, तो उसे उस घटना के घटित होने के समय और स्थान का पूर्वानुमान लगाना मुश्किल हो सकता है।
अवलोकन विधि वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए एक महत्वपूर्ण और उपयोगी पद्धति है। इसके माध्यम से वास्तविकता के करीब रहकर अध्ययन किया जा सकता है, जिससे विस्तृत और विश्वसनीय जानकारी प्राप्त होती है। हालांकि, इसके कुछ सीमाएँ और चुनौतियाँ भी हैं, जिन्हें ध्यान में रखकर इसका उपयोग किया जाना चाहिए। सही प्रशिक्षण और सावधानीपूर्वक उपयोग से अवलोकन विधि अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान कर सकती है। अवलोकन विधि के गुण और सीमाओं को समझकर अनुसंधानकर्ता अपने अध्ययन को अधिक प्रभावी और विश्वसनीय बना सकते हैं।