हड़प्पा सभ्यता, जिसे सिंधु घाटी सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप की एक प्रमुख प्राचीन सभ्यता थी। यह सभ्यता लगभग 2500 ईसा पूर्व से 1900 ईसा पूर्व के बीच अपनी चरम सीमा पर थी। 1921 ईस्वी में सर जॉन मार्शल के नेतृत्व में की गई खुदाइयों ने इस सभ्यता को पुनः प्रकाश में लाया, जिससे यह इतिहास के एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में उभरी। हड़प्पा सभ्यता को उसकी उन्नत नगरीय योजना, व्यापारिक संपर्क, और धार्मिक प्रथाओं के लिए जाना जाता है। यहाँ इस सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ विस्तार से दी गई हैं:
उन्नत नगरीय सभ्यता: हड़प्पा सभ्यता की सबसे उल्लेखनीय विशेषता उसकी उन्नत नगरीय सभ्यता थी। इस सभ्यता के अंतर्गत कई नगरों के अवशेष मिले हैं, जैसे हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, चन्हुदड़ो, और लोथल। इन नगरों की योजना इतनी उन्नत थी कि इसे आज भी अध्ययन और प्रेरणा का विषय माना जाता है।
- नगरों का विन्यास: इन नगरों का निर्माण दो प्रमुख भागों में किया गया था। एक भाग ऊँचे चबूतरे पर स्थित होता था, जिसे दुर्ग या गढ़ी कहा जाता है। यह संभवतः प्रशासकीय और धार्मिक उद्देश्यों के लिए प्रयोग किया जाता था। दूसरा भाग, निचला नगर, आम नागरिकों के आवास के लिए था।
- सड़कें और गलियाँ: सड़कें समकोण पर एक-दूसरे को काटती थीं, जिससे नगर का सुव्यवस्थित विन्यास था। सड़कें चौड़ी और पक्की थीं, जो यह दर्शाता है कि नगरों की योजना पूर्वनिर्धारित थी।
- भवन निर्माण: सड़क के किनारे बने मकान पकी ईंटों से बने होते थे। ये मकान एक या दो मंजिला होते थे और इनकी संरचना प्रायः आंगन के चारों ओर होती थी।
- जल निकासी प्रणाली: हड़प्पा सभ्यता की जल निकासी प्रणाली विशेष रूप से उल्लेखनीय थी। पानी निकालने के लिए व्यवस्थित नालियाँ थीं जो ढंकी हुई होती थीं। प्रत्येक घर में एक निजी कुआँ और स्नानघर होता था, जिससे यह पता चलता है कि वे स्वच्छता के प्रति सजग थे।
व्यापारिक गतिविधियाँ: हड़प्पा सभ्यता के निवासियों का प्रमुख व्यवसाय व्यापार था। वे अत्यधिक कुशल व्यापारी थे और उनका व्यापारिक नेटवर्क विस्तृत था।
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंध: हड़प्पा के व्यापारियों के सुमेर और फारस की खाड़ी के तटीय क्षेत्रों के लोगों के साथ व्यापारिक संबंध थे।
- आयात और निर्यात: हड़प्पा के लोग उत्तरी अफगानिस्तान से लाजवर्त्त पत्थर का आयात करते थे। इसके अलावा, वे सोने, चांदी, तांबे, टिन, और अन्य धातुओं का भी व्यापार करते थे।
- संसाधनों का उपयोग: हड़प्पा के लोग विभिन्न प्रकार के संसाधनों का उपयोग करते थे, जिसमें विभिन्न धातुएं और पत्थर शामिल थे। लोथल में एक डॉकयार्ड का अवशेष मिला है, जो समुद्री व्यापार का प्रमाण है।
धार्मिक प्रथाएँ: हड़प्पा सभ्यता में धर्म का महत्वपूर्ण स्थान था। हालांकि उनके धर्म के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है, खुदाई में मिली मूर्तियों और अन्य वस्तुओं से कुछ अनुमान लगाया जा सकता है।
- देवी पूजा: बड़ी संख्या में मिली स्त्री मूर्तियों से यह अनुमान लगाया जाता है कि वे देवी की पूजा करते थे। यह संभवतः मातृ शक्ति की पूजा का संकेत है।
- पशुपति और योगी: मोहनजोदड़ो से मिली पशुपति की मूर्ति, जिसमें एक तीन-मुखी व्यक्ति को योग मुद्रा में दिखाया गया है, शिव या पशुपति की पूजा का संकेत देती है। एक योगी की मूर्ति भी मिली है, जो ध्यान की परंपरा को दर्शाती है।
- वृक्ष और प्रकृति पूजा: वृक्षों की पूजा भी की जाती थी, जो उनके प्रकृति प्रेम और पर्यावरण के प्रति सम्मान का प्रतीक है।
- प्रजनन की पूजा: लिंग और योनी की पूजा से यह संकेत मिलता है कि प्रजनन शक्ति की भी पूजा होती थी, जो उर्वरता और जीवन के चक्र का प्रतीक है।
- तंत्र-मंत्र और ताबीज: खुदाई में मिले ताबीज और अन्य धार्मिक प्रतीक चिह्न इस बात का प्रमाण देते हैं कि तंत्र-मंत्र का भी प्रचलन था, जिससे बुरी आत्माओं से रक्षा का विश्वास जुड़ा था।
कला और शिल्प: हड़प्पा सभ्यता के लोग कला और शिल्प में भी निपुण थे। खुदाई में मिली मूर्तियाँ, बर्तन, आभूषण, और अन्य कलात्मक वस्तुएँ उनकी कला कौशल का प्रमाण हैं।
- मूर्ति कला: खुदाई में मिली टेराकोटा, पत्थर, और धातु की मूर्तियाँ उनके उन्नत मूर्तिकला कौशल को दर्शाती हैं। इन मूर्तियों में पशुपति की मूर्ति विशेष रूप से उल्लेखनीय है।
- बर्तन और मृद्भांड: हड़प्पा सभ्यता के लोग विभिन्न प्रकार के बर्तन और मृद्भांड बनाते थे, जिन पर सुंदर नक्काशी और चित्रकारी होती थी।
- आभूषण: हड़प्पा के लोग आभूषण बनाने में भी निपुण थे। वे सोने, चांदी, तांबे, और अन्य धातुओं से बने आभूषण पहनते थे। इसके अलावा, वे मोती, कांच, और पत्थरों का भी प्रयोग करते थे।
सामाजिक संरचना: हड़प्पा सभ्यता की सामाजिक संरचना के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है, लेकिन खुदाई में मिले अवशेषों से कुछ अनुमान लगाया जा सकता है।
- वर्ग विभाजन: ऐसा माना जाता है कि हड़प्पा सभ्यता में सामाजिक वर्गों का विभाजन था। ऊँचे चबूतरे पर बने दुर्ग में शासक वर्ग का निवास होता था, जबकि निचले नगर में आम नागरिकों का।
- लिंग समानता: हड़प्पा सभ्यता में स्त्रियों की स्थिति के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है, लेकिन देवी पूजा और स्त्री मूर्तियों की प्रचुरता से यह संकेत मिलता है कि समाज में महिलाओं को विशेष सम्मान प्राप्त था।
पतन के कारण: हड़प्पा सभ्यता का पतन एक रहस्य बना हुआ है। हालांकि इसके पतन के कई संभावित कारण माने जाते हैं, जैसे:
- जलवायु परिवर्तन: ऐसा माना जाता है कि जलवायु परिवर्तन और सूखे ने हड़प्पा सभ्यता के कृषि आधार को प्रभावित किया।
- बाढ़: सिंधु नदी में आई बाढ़ ने कई नगरों को नष्ट कर दिया होगा।
- आक्रमण: कुछ विद्वानों का मानना है कि आर्यों के आक्रमण ने इस सभ्यता के पतन में भूमिका निभाई।
- आंतरिक संघर्ष: समाज में आंतरिक संघर्ष और राजनीतिक अस्थिरता भी इस सभ्यता के पतन के कारण हो सकते हैं।
हड़प्पा सभ्यता, अपनी उन्नत नगर योजना, व्यापारिक गतिविधियों, और धार्मिक प्रथाओं के कारण विश्व की महान प्राचीन सभ्यताओं में से एक मानी जाती है। यह सभ्यता न केवल तकनीकी और सामाजिक दृष्टिकोण से उन्नत थी, बल्कि इसके अवशेष आज भी शोधकर्ताओं और इतिहासकारों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। हड़प्पा सभ्यता का अध्ययन आज भी भारतीय उपमहाद्वीप की सांस्कृतिक धरोहर को समझने में सहायक है और यह सभ्यता मानव इतिहास के विकास में एक महत्वपूर्ण चरण का प्रतिनिधित्व करती है।