सन् 1757 ई. में हुए प्लासी के युद्ध ने भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ लाया। यह युद्ध अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कम्पनी और बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के बीच लड़ा गया था। इस युद्ध के कई प्रमुख कारण थे, जिनमें अंग्रेजों की चालाकी और नवाब के साथ उनके बढ़ते तनाव प्रमुख थे।
अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कम्पनी ने बंगाल में व्यापार के लिए अपने कारखाने स्थापित करना शुरू किया। सबसे पहला कारखाना 14 मई, 1633 ई. को हरिहरपुर में खोला गया। इसके बाद हुगली, कासिम बाजार और ढाका में भी उनके कारखाने स्थापित किए गए। अंग्रेजों ने धीरे-धीरे अपनी शक्ति को बढ़ाया और सन् 1690 ई. में जाब चारचौक ने आधुनिक कलकत्ता की नींव रखी। सन् 1700 ई. में कलकत्ता को प्रेसिडेंसी शहर घोषित कर दिया गया, जो उनके बढ़ते प्रभाव का प्रतीक था।
नवाब सिराजुद्दौला ने अंग्रेजों को अपने राज्य की सीमाओं में बढ़ती हुई किलेबंदी को रोकने का आदेश दिया था। अंग्रेजों ने इस आदेश का उल्लंघन किया, जिससे नवाब ने कासिम बाजार स्थित अंग्रेजों के कारखाने को जब्त कर लिया। इसके बाद, उन्होंने कलकत्ता पर आक्रमण कर दिया, जो दोनों के बीच संघर्ष का प्रमुख कारण बना।
सिराजुद्दौला की कलकत्ता विजय के बाद 'काली कोठरी की दुर्घटना' (The Black Hole Tragedy) घटित हुई, जो अंग्रेजों के लिए एक भयंकर और भयावह घटना थी। इस घटना में कई अंग्रेज सैनिक और नागरिक मारे गए, जिसे अंग्रेजों ने बाद में युद्ध के औचित्य के रूप में प्रस्तुत किया।
यह युद्ध सही अर्थों में एक निर्णायक युद्ध नहीं था, बल्कि इसके परिणाम पहले ही निर्धारित हो चुके थे। प्रसिद्ध इतिहासकार के. एम. पणिक्कर ने कहा है, "प्लासी की घटना एक हुल्लड़ और भगदड़ थी, युद्ध नहीं।" फिर भी, इसके परिणाम बहुत ही महत्त्वपूर्ण साबित हुए।
प्लासी के युद्ध के बाद, बंगाल की गद्दी मीरजाफर को दी गई। मीरजाफर वास्तव में अंग्रेजों के हाथ की कठपुतली मात्र था। उसकी नियुक्ति से अंग्रेजों का बंगाल पर वास्तविक नियंत्रण स्थापित हो गया, जिससे उन्हें प्रशासन और राजस्व पर अधिकार मिला।
मीरजाफर ने अंग्रेजों के साथ गुप्त सन्धि की थी, जिसके अनुसार उसने अंग्रेजी कम्पनी के सभी विशेषाधिकार सुरक्षित कर दिए और कम्पनी के कर्मचारियों को भारी धनराशि प्रदान की। इससे अंग्रेजों की आर्थिक शक्ति में और वृद्धि हुई।
प्लासी के युद्ध के दौरान मीरजाफर और उसके साथियों ने जो भी किया, उसे 'महान् विश्वासघात' के रूप में देखा गया। इस विश्वासघात ने भारतीय समाज में नैतिक संकट उत्पन्न किया और अंग्रेजों ने इसका फायदा उठाकर अपनी पकड़ और मजबूत कर ली।
निष्कर्ष: प्लासी का युद्ध अंग्रेजों के भारत में राजनीतिक और आर्थिक प्रभुत्व की नींव रखने वाला महत्वपूर्ण घटना थी। इस युद्ध के परिणामस्वरूप भारत में अंग्रेजी साम्राज्य की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ।