विक्रमशिला विश्वविद्यालय प्राचीन भारत का एक प्रसिद्ध बौद्ध शिक्षा केंद्र था।
इसकी स्थापना पाल वंश के राजा धर्मपाल (8वीं-9वीं शताब्दी ईस्वी) ने की थी।
यह बिहार के भागलपुर जिले में स्थित था।
बौद्ध धर्म, तंत्र साधना और उच्च शिक्षा के लिए यह विश्व प्रसिद्ध था।
यहाँ भारत, तिब्बत, चीन, श्रीलंका, म्यांमार और नेपाल से छात्र आते थे।
📌 स्थापक: राजा धर्मपाल (पाल वंश)
📌 समय: 8वीं-9वीं शताब्दी ईस्वी
📌 स्थान: भागलपुर, बिहार
📌 उद्देश्य: नालंदा विश्वविद्यालय के समान एक दूसरा प्रमुख बौद्ध शिक्षा केंद्र स्थापित करना।
पाल वंश ने बौद्ध धर्म के महायान संप्रदाय को बढ़ावा देने के लिए इस विश्वविद्यालय की स्थापना की।
यह बौद्ध धर्म और तंत्र साधना के लिए जाना जाता था।
यह नालंदा के बाद सबसे महत्वपूर्ण शिक्षा केंद्र बन गया।
यहाँ बौद्ध धर्म, तंत्र साधना, व्याकरण, खगोलशास्त्र, योग, दर्शन, चिकित्सा और कला की शिक्षा दी जाती थी।
प्रमुख विषय:
केवल मेधावी छात्र ही यहाँ प्रवेश ले सकते थे।
छात्रों को कठिन परीक्षा पास करनी होती थी।
विद्वान शिक्षक मौखिक और लिखित परीक्षा लेकर छात्रों को चयनित करते थे।
यहाँ एक विशाल पुस्तकालय था, जिसमें हजारों दुर्लभ ग्रंथ थे।
कई पुस्तकें तिब्बत, चीन और श्रीलंका के भिक्षुओं द्वारा अनुवादित की गईं।
📍 अतीश दीपंकर (Atisha Dipankara Srijnana)
📍 ज्ञान श्री (Gyan Shri)
📍 रत्नाकर शांति (Ratnakar Shanti)
📍 विमलमित्र (Vimalamitra)
इन विद्वानों ने बौद्ध धर्म के प्रचार में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
1. प्रशासन (Governance)
विश्वविद्यालय का संचालन एक आचार्य परिषद द्वारा किया जाता था।
राजा संपूर्ण विश्वविद्यालय का संरक्षण करते थे।
2. वास्तुकला (Architecture)
विश्वविद्यालय गंगा नदी के किनारे एक पहाड़ी पर स्थित था।
इसमें 108 बौद्ध मंदिर और अध्ययन कक्ष थे।
यहाँ एक मुख्य महाविहार (प्रमुख भवन) था, जहाँ छात्र रहते और अध्ययन करते थे।
1203 ईस्वी में तुर्क आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने इस विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया।
उन्होंने पुस्तकालय में आग लगा दी और हजारों ग्रंथ नष्ट हो गए।
कई बौद्ध भिक्षुओं को मृत्यु के घाट उतार दिया गया।
इस आक्रमण के बाद भारत में बौद्ध धर्म कमजोर हो गया।
तिब्बत, चीन और श्रीलंका में बौद्ध धर्म फलता-फूलता रहा।
इस आक्रमण के बाद भारत में बौद्ध शिक्षा केंद्रों की समाप्ति हो गई।
नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्व प्रसिद्ध विश्वविद्यालय नष्ट हो गए।
बिहार सरकार विक्रमशिला विश्वविद्यालय के पुनरुद्धार के लिए कार्य कर रही है।
2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे फिर से विकसित करने की योजना की घोषणा की।
विक्रमशिला महोत्सव का आयोजन होता है, जिससे इसकी ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित किया जा सके।
विक्रमशिला विश्वविद्यालय प्राचीन भारत के सबसे प्रतिष्ठित शिक्षा केंद्रों में से एक था।
यह तंत्र साधना और बौद्ध धर्म का प्रमुख अध्ययन केंद्र था।
यहाँ से कई महान विद्वानों ने बौद्ध धर्म का प्रचार पूरी दुनिया में किया।
तुर्क आक्रमण के कारण इसका विनाश हो गया, लेकिन इसकी महानता आज भी इतिहास में अमर है।
👉 "विक्रमशिला – भारत की प्राचीन शिक्षा और ज्ञान का गौरव!" 🏛️📚